देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने कक्षा 12वीं के प्राइवेट, पत्राचार और सेकेंड कम्पार्टमेंट के विद्यार्थियों की कोविड-19 महामारी के बीच ऑफलाइन परीक्षा लेने के लिए सीबीएसई मूल्याकंन योजना में हस्तक्षेप करने से इनकार करने वाले अपने 22 जून के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका में उस योजना की समीक्षा का आग्रह किया गया था जिसके तहत इस साल 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच ऑफलाइन परीक्षाओं का आयोजन किया जाना है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने बुधवार को पारित आदेश में कहा, “ मौजूदा पुनर्विचार याचिका 22 जून 2021 के अंतिम आदेश के खिलाफ दायर की गई है।
हमने याचिका के साथ-साथ इसके समर्थन में दिए गए आधारों का भी अवलोकन किया। हमारी राय है कि पुनर्विचार का कोई मामला ही नहीं बनता है।” न्यायालय ने 22 जून को 12वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) द्वारा अपनाई गई आकलन योजना में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
कोविड-19 महामारी के कारण दोनों बोर्डों की 12 वीं कक्षा की परीक्षा रद्द कर दी गई है। अदालत ने प्राइवेट, पत्राचार और सेकेंड कम्पार्टमेंट के छात्रों की ऑफलाइन परीक्षा लेने की सीबीएसई की योजना को मंजूरी दी थी क्योंकि उनका मूल्यांकन क्रमशः कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं में उनके परिणामों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर नहीं किया जा सकता है।