दिल्ली की विकास दूत के तौर पर अमिट छाप छोड़ने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के प्रयासों की बदौलत उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) के संयंत्र की स्थापना हुयी थी।
इटावा के पड़सी जिले कन्नौज की सांसद की हैसियत से उन्होने दिबियापुर इलाके में नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन एनटीपीसी की स्थापना का खाका तैयार किया था जो क्षेत्र में हजारों लोगों के रोजगार का माध्यम बना।
वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में हुए संसदीय चुनाव में शीला दीक्षित इटावा के पड़सी कन्नौज संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में कांग्रेसी उम्मीदवार के तौर पर उतरी थी। उस समय इटावा की भरथना और बिधूना विधानसभा कन्नौज संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। इसी वजह से शीला दीक्षित को इस क्षेत्र में भी लोगों के संपर्क में रहना पड़ता था।
कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव मे शीला ने मुलायम के करीबी छोटे सिंह यादव को पराजित किया था। कन्नौज मे शीला दीक्षित के रूप मे कांग्रेस पार्टी की यह अब तक की अंतिम जीत है। कन्नौज की जीत से श्रीमती दीक्षित संसद के गलियारे में पहुंची तो उनको राजीव गांधी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर जगह मिली।
शीला दीक्षित ने राज्यमंत्री के तौर पर अपनी काबिलियत साबित करने के लिए उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ समझे जाने वाले इटावा जिले के दिबियापुर इलाके में नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन एनटीपीसी की स्थापना का खाका तैयार किया जिसको मूर्त रूप देने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उस पर अमलीजामा पहनाया।
जब नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की स्थापना की जा रही थी उस वक्त इटावा और इटावा के आसपास के ढेर सारे लोगों को रोजगार भी मिला।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि जब नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की स्थापना की घोषणा की गई थी उस समय खुद प्रधानमंत्री राजीव गांधी इटावा में बड़ जनसभा को संबोधित करने के लिए यहां पर पहुंचे हुए थे।उनके साथ शीला दीक्षित भी थी भारी जनसमुदाय के बीच जनसभा तो हुई लेकिन बड़ स्तर पर बरसात ने मित्रात्र को बदल दिया था।
त्रिपाठी बताते हैं कि शीला दीक्षित को कालीचाय बहुत ही पसंद हुआ करते थी जब कभी भी शीला दीक्षित इटावा के दौरे पर आया करती थी तो वह अमूमन उनके कार्यालय में आकर के काली चाय पीना पसंद करते थे।
कांग्रेस पार्टी के जिलाअध्यक्ष उदय भान सिंह यादव ने कहा है कि श्रीमती दीक्षित से इटावा के बाशिंदों का करीब तीन दशक पुराना गहरा नाता रहा है। इटावा के लोगों से उनकी करीबियत का अंदात्रा इसी बात से लगाया जा सकता है क्यों कि वे आज भी इटावा के लोगो से सीधे जुड़ हुई थी।