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अहिंसक गांधीवादी किसान आंदोलन ने इतिहास रच दिया : सुरजेवाला

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि एक ओर जहां केंद्र सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया है।

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि एक ओर जहां केंद्र सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। वहीं अहिंसक गांधीवादी किसान आंदोलन ने इतिहास रच दिया।सवाल-तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है। आप की इस पर क्या प्रतिक्रिया है? क्या आप मानते हैं कि मोदी सरकार ने आज इतिहास रचा है।
जवाब- आज इतिहास तो रचा गया है प्रधानमंत्री मोदी के अहंकार को तोड़ने का, इतिहास रचा गया है बीजेपी की साजिश को तोड़ने का, इतिहास रचा गया है पूंजीपतियों को चंद लोगों की खेत और खलिहान को बेचने के षड्यंत्र का तोड़ने का, इतिहास रचा गया है एक अहिंसक गांधीवादी आंदोलन द्वारा किसान के जीतने का।सवाल- लगातार किसान दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर बैठे हैं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि अब लौट जाइये और संसद के सत्र में इसको लेकर फैसला किया जाएगा। एक एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी और विपक्ष की इसमें क्या भूमिका होगी। आप क्या सलाह देंगे ?
जवाब- आप किसी का गला घोंट रहे हैं, जब उसकी आखिरी सांस बच जाए तो आप उसका गला छोड़ दीजिए और बोलिये मैंने तुम्हें जीवन दान दिया है। पर गला किसने घोंटा था, मारने तक लेकर कौन आया था। 700 किसानों जिन्होंने कुबार्नी दी, मोदी सरकार के राजहठ के चलते। उनकी कुर्बानी का जिम्मेवार कौन है। 62 करोड़ किसान आंदोलन कर रहे हैं उसका जिम्मेवार कौन है। किसान को यातनाएं देने का जिम्मेदार कौन है। इस देश के खेत-खलिहान की आत्मा को छलनी करने का जिम्मेवार कौन है-प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा हैं। इसलिए कानून खत्म करिये और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और उसके साथ कर्ज मुक्ति, खेती से जीएसटी हटाने इन सारे मुद्दों पर सदन में चर्चा कीजिए।सवाल- केंद्र के इस फैसले के बाद कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि बीजेपी शासित राज्यों में अगले चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सकता है।
जवाब- मुझे लगता है कि वो किसानों की बेइज्जती कर रहे हैं। इस तरह के ऐलान करके। किसान राजनीति नहीं करते, वो केवल अपने हक्क की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी अगली पीढ़ी देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है। वहीं अन्नदाता परिवार हैं जो देश का पेट भर रहा है। देश की जनता की सुरक्षा कर रहा है, सीमाओं पर दुश्मनों का सामना कर रहा है। जो पार्टी केवल राजनीतिक मुद्दों की उपज है वो इसमें भी अपना राजनीतिक फायदा देख रही है इसलिए ये ऐलान किया गया है।सवाल- आप लगातार ये कह रहे हैं कि कानून वापस लेने में बहुत देर हो गई। ये क्यों मानते हैं?
जवाब- खेती पर ये टैक्स और जीएसटी जो लगाया है। उससे राहत देने का रास्ता क्या है ? सरकार ने अब तक नहीं बताया। 700 किसान जो मारे गए हैं उनसे माफी मांगे केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी। किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। इसलिए कानून वापस लेने में बहुत देर हो गई। लखीमपुर खीरी में तो देश के गृह राज्य मंत्री के बेटे और उसके सहयोगियों ने किसानों को अपनी जीप के टायर के नीचे कुचल दिया। इसका जिम्मेदार कौन है, मोदी सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया लेकिन बहुत देर कर दी।सवाल- अगले साल जो चुनाव होने हैं उस पर केंद्र के इस फैसले का असर पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी को क्या लगता है ?
जवाब- अब बारी है किसानों के साथ मजदूरों के साथ मेहनतकशों के साथ मिलकर अपराध की सजा तय करने की। जो देश की जनता हर हाल में ये तय करेगी। जनता को एक अचूक अस्त्र मिल गया है। अब जब उन्होंने देखा कि 62 करोड़ किसानों का ये प्रदर्शन रुकने वाला नहीं, यहीं से सरकार ने वापसी का रास्ता तय किया। जिस प्रकार से उत्तराखंड में, उत्तर-प्रदेश, पंजाब और गोवा में बीजेपी को अपनी हार सामने दिख रही है। इस लिए ये कानून वापस लिए गए हैं। अन्त में लोकतंत्र की जीत हुई। कृषि कानूनों के वापस होने का जितना श्रेय किसानों के आंदोलन को जाता है उतना ही श्रेय बीजेपी के उस डर को भी जाता है जिसकी वजह से उनको आशंका थी कि वे 5 राज्यों में चुनाव हार जाएंगे।

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