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हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश सब विधि हाथ

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जिन्दगी की 6 सच्चाइयां हैं जो किसी के हाथ में नहीं और न ही मालूम पड़ सकती हैं। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश सब विधि के हाथ है। पहले कहते थे कि अब उम्र हो गई, कभी भी भगवान का बुलावा आ सकता है परन्तु अब तो कोई उम्र ही नहीं। रास्ते में आप सेफ चल रहे हो तो कोई डम्पर ट्रक ऊपर गिरकर जान ले लेता है (अभी दो दिन पहले की घटना)। उसी एक्सीडेंट में 6 घंटे के बाद बच्चा जीवित निकलता है। ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’। किसी को कहते हैं अभी भला-चंगा था अभी-अभी गया (हार्ट अटैक हो गया)। एक सैनिक ने चन्द मिनट पहले अपनी पत्नी को वीडियो बनाकर भेजी और कुछ ही मिनटों के बाद ब्लास्ट (शहीद की मौत को नमन)। कहने की बात है कि एक मिनट का भरोसा नहीं, तकलीफ और एक्सीडेंट तो कभी भी हो सकता है, किसी के साथ पर शहीद की मौत जैसी मौत तो किस्मत वालों को आती है। सारे देश को उन पर फख्र होता है।

हां, तकलीफ के समय देश साथ हो, समाज साथ हो, रिश्तेदार साथ हों तो तकलीफ सही जाती है। जैसे मेरी बहन मधु शर्मा को कैंसर डायगनोज हुआ। डाक्टर ने कहा कि बचना मुश्किल है, चौथी स्टेज है परन्तु वह पढ़ी-लिखी थी। उसका ध्येय था कि उसने जीना है। उसके बच्चे उसके साथ थे। उसकी सारी बहनें उसके साथ थीं। मेरी लन्दन से बहन वीना शर्मा आई। उसने उसके लिए हीलिंग सीखी। मेदान्ता में डा. आदर्श ने उसका ऑपरेशन किया। डा. कटारिया, डा. वैद्य ने कीमो की। इन सब डाक्टरों ने इलाज के साथ अपनापन और सहानुभूति दिखाई। मरीज को हौसला दिया। मेरी अमेरिका से बहन प्रेम शर्मा, लंदन से वीना शर्मा, जालन्धर से सोनिया, नोएडा से गीता और भाई बिट्टू और भतीजे-भतीजियों ने दिन-रात प्रेयर की और खुद मधु ने नेट से सर्च कर जो खाने को कहा गया वो किया व्हीट ग्रास जूस, गिलोय, ​ब्ल्यू बैरी, हल्दी पानी, ब्रोकली आदि यानी इतनी मेहनत, इतना साथ कि आज पांचवां साल जा रहा है, वह कैंसर फ्री हैं।

अमेरिका दो बार घूमकर आ चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर एक नामी-गिरामी व्यक्ति को कैंसर हुआ तो उसके छोटे भाई ने सोच लिया कि वो तो गया क्योंकि कैंसर का नाम ही ऐसा है। उसने बजाय उसकी सेवा करने के या हाल पूछने के उसकी मां से सारी वसीयत, जायदाद, शेयर साइन करवा लिए कि उसके पास तो रोटी खाने के पैसे नहीं। जो हर दूसरे महीने लन्दन घूम रहा हो, जिसकी प्रॉपर्टी लन्दन में हो, जिसकी 2 फैक्टरियां शूज की हों, रेंटल प्रॉपर्टीज हो, उसने उस समय अपनी बुजुर्ग मां (87 वर्षीय) जिसका बड़ा बेटा कैंसर से जूझ रहा था उसको बिना बताए प्रैशर देकर उसका मिसयूज कर ममता को भी शर्मिन्दा कर दिया। ऐसे बेटे का क्या जिसने अपने भाई की बीमारी के समय अपनी बुजुर्ग माता को यूज किया। मुझे लगता है कि उसे भगवान तो क्या, आने वाली पीढ़ियां भी कभी माफ नहीं करेंगी। कितना फर्क है बहनों और भाइयों में। बहनों ने प्रार्थना, सेवा कर अपनी बहन को चौथी स्टेज से बाहर निकाल दिया और कलियुगी भाई ने अपने भाई की बीमारी का फायदा उठाकर क्या किया। तभी आने वाले समय में लोग बेटियों के लिए मन्नत मांगेंगे।

अपनी मां, जिसका नाम सब आदर से लेते हैं और जो शहीद की पत्नी हैं, उनसे गलत काम बेटे के लिए करवाया क्योंकि दुनिया की कोई भी मां कुमाता नहीं होती, पुत्र कपूत हो सकते हैं। यहां तक कि इस नालायक बेटे ने अपने पिता का नाम भी बेच दिया और एक बीमार बेटे को उसकी मां से दूर कर पाप लिया। बेटा चाहे किस भी उम्र का हो उसे मां हमेशा चाहिए और स्पेशियली जब दुःख में हो तो मां का प्यार वाला हाथ सिर पर और दो मीठे बोल ही काफी हैं। आज इतने इलाज और दुआएं हैं कि कैंसर जैसी बीमारी भी कुछ नहीं। यही नहीं जब अश्विनी जी का डायगनोज हुआ तो पांच महीनाें में एक दिन भी ऐसा नहीं था जब मेरी आंखों में आंसू न बहे हों परन्तु मेरे बच्चों की सेवा, लोगों की प्रार्थनाएं, दुआएं और उनकी मां का आशीर्वाद उनको लगे। आज वह स्वस्थ हो रहे हैं और बहुत जल्दी लोगों के बीच होंगे। कहने का भाव है ‘पल दा भरोसा यार पल आवे न आवे।’ तो हरेक को अच्छे कर्म करने चाहिएं। अच्छे भाव रखने चाहिएं। एक जिन्दगी मिली है, अगर आप किसी का संवार नहीं सकते तो बिगाड़ो मत। इसी जन्म में सब हिसाब-किताब है।

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