पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत के और करीब लाने तथा दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रुप में विकसित करने की मुहिम के तहत बीते वर्ष में केंद्र, सरकार ने कई नीतिगत बदलाव करते हुए 2000 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज जारी किया और रोजगार के अवसर सृजित के लिए कनेक्टीविटी,‘स्टार्ट अप इंडिया‘,‘कुशल भारत ’और‘ जैविक कृषि’पर खासा जोर दिया।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की अर्थव्यवस्था का आधार माने जाने वाले बांस के संबंध में क्षेत्र के लोगों की लगभग 90 साल पुरानी मांग को पूरी करने के लिये केंद्र सरकार ने एक अभूतपूर्व फैसला किया। सरकार ने भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन कर गैर वन क्षेत्रों में बांस को‘वृक्ष’की परिभाषा के दायरे से बाहर कर दिया। इसके चलते आर्थिक इस्तेमाल के लिए बांस को काटने के लिये अब अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे काश्तकारों, कारीगरों और श्रमिक को भारी सहुलियत होगी।
सिक्किम तथा पूर्वोत्तर के राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर के समग, विकास के लिए केंद्र सरकार ने 2000 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की। इसका इस्तेमाल क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करने, युवाओं को स्व रोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध कराने, क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क बढ़ने तथा आधारभूत ढांचा को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा।
पूर्वोत्तर राज्यों में रेल संरचना का निर्माण करने वाली सीमांत रेलवे ने 2020 तक क्षेत्र के सभी आठ राज्यों की राजधानियों को रेल नेटवर्क से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मिजोरम की राजधानी आईजोल 2018 तक और मणिपुर की राजधानी इंफाल 2019 तक नेटवर्क से जुड़ जाएगी। शेष राजधानियों को 2020 तक नेटवर्क से जोड़ लिया जाएगा। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को सिलचर से मीटर गेज के द्वारा नेटवर्क से पहले ही जोड़ जा चुका है।
लुमडिंग से सिलचर तक ब्रॉडगेज में बदले गए मार्ग पर डीजल इंजन का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। बीते वर्ष में ही सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। यह समिति पन बिजली, कृषि, जैव विविधता संरक्षण, बाढ़ से होने वाले मिट्टी के क्षरण में कमी लाने, अंतर्देशीय जल यातायात, वन, मछली पालन और ईको-पर्यटन के रूप में जल प्रंबधन के मुद्दों पर काम कर रही है। इसकी रिपोर्ट और सिफारिशें अगले जून तक आने की संभावना है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के लिए पूर्वोत्तर परिषद को दोबारा कारगर बनाने के लिए उसका एक नया स्वरूप तैयार करना शुरू कर दिया है, ताकि उसे पूरे पूर्वोत्तर की उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके।
आलोच्य वर्ष के दौरान‘पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास’योजना की शुरूआत प्रायोगिक आधार पर दो वर्ष की अवधि के लिए पहले चरण में तमांगलांग जिले से हुई। इसी तरह से इम्फाल में पूर्वोत्तर के लिए‘पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’आरंभ किया गया। इस योजना से मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ होगा। पूरे वर्ष पूर्वोत्तर क्षेत्र के संस्कृति, परंपरा और रीति रिवाज से परिचित कराने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में पूर्वोत्तर महोत्सव का आयोजन किया गया। ये महोत्सव दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई और बेंगलुरू में आयोजित किए गए। इनमें स्थानीय लोगों को पूर्वोत्तर के खानपान, रहन सहन और लोकजीवन से परिचित कराने का प्रयास किया गया।
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