कैंसर एक बेहद ही घातक बीमारी है। इसका नाम सुनने से ही एक अलग ही बैचेनी लोगों के मन में बैठ जाती है। क्योंकि इस बीमारी का कितना ही इलाज क्यों न करा लिया जाए लेकिन यह वापस आ जाती है और जब यह दोबारा लौटती है तो इसका रूप और भी घातक होता है।
हालांकि अगर शुरुआती स्टेज में यह बीमारी पकड़ में आ जाए तो इसके इलाज के लिए कीमोथेरापी और रेडियोथेरापी का विकल्प उपलब्ध है, लेकिन इसके कई सारे साइड इफेक्ट्स भी हैं। इस दौरान शरीर पूरी तरह से खोखला और जहरीला हो जाता है। इसी को देखते हुए मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ने एक ऐसी टैबलेट निकाली है जो किसी को दोबारा कैंसर से ग्रसित होने से रोकेगा और साइड इफेक्ट्स को भी कम करेगा।
महज 100 रुपए में कैंसर का इलाज
कैंसर से जूझ रहे लोगों को इलाज में साइड इफेक्ट्स से निजात दिलाने के लिए भारत में प्रमुख कैंसर अनुसंधान और उपचार सुविधा मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ने एक दवा तैयार की है जो लोगों में दूसरी बार कैंसर होने से रोकेगी। वहीं, कैंसर के दूसरे इलाज की अपेक्षा यह टैबलेट काफी सस्ती है। इसकी कीमत महज 100 रुपए है। ये दवा कैंसर को खत्म करने के लिए की जाने वाली कीमोथैरेपी के साइड इफेक्ट भी कम करेगी और दूसरी बार कैंसर होने की आशंका को भी रोक देगी।
चूहों पर की गई रिसर्च
बता दें, टाटा अस्पताल की रिसर्च टीम ने इस दवा को शुरुआती दिनों चूहों पर आजमाया। इसमें चूहों को रेस्वेराट्रोल और कॉपर (आर+सीयू) के साथ प्रो-ऑक्सीडेंट गोलियां दी गई। बता दें R+Cu ऑक्सीजन रेडिकल उत्पन्न करता है। यह क्रोमैटिन कणों को नष्ट करता है। इस दवा के प्रयोग के लिए चूहों में मानव कैंसर कोशिकाएं को डाला गया।
चूहों में कैंसर कोशिकाएं डालने के बाद उनके अंदर ट्यूमर बना। इसके बाद चूहों का रेडियो थेरापी और कीमोथेरेपी और सर्जरी के साथ इलाज किया गया। इस दौरान पाया गया कि जब ये कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं, तो वे छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन्हें क्रोमैटिन कण कहा जाता है। ये कण रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में जा सकते हैं। जब ये स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं तो उसे भी कैंसरग्रस्त बना देते हैं। इस वजह से कैंसर से नष्ट होने के बाद भी वापस आ सकते हैं। ऐसे में इसे रोकने के लिए एक खास टैबलेट का इस्तेमाल किया।
घरेलू नुस्खे से बनी दवाई
रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के इस शोध में दावा किया गया है कि रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) की कंबइन प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दिए जाने के बाद शरीर में क्रोमेटिन कणों को बेअसर करने में सफलता मिली। यही क्रोमेटिन कण शरीर में फिर से कैंसर होने का खतरा पैदा करते हैं। कहा जा रहा है कि कॉपर-रेसवेरेट्रॉल कंबाइन प्रो-ऑक्सिडेंट एक घरेलू नुस्खे के तहत बनाई गई है। जो कैंसर के आखिरी स्टेज के कैंसर के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट को रोकने में भी कारगर साबित होती है। अब अगर दवा को मंजूरी मिल जाती है तो तीन से चार महीने में ये बाजार में आ सकेगी।
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