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हनीमून खत्म, अब क्रिकेट शुरू

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केपटाउन : भारतीय उपमहाद्वीप की शीर्ष टीम भारत कल यहां दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरू हो रहे पहले क्रिकेट टेस्ट के साथ जब विदेशी सरजमीं पर 12 टेस्ट के अपने अभियान की शुरुआत करेगा तो उसका लक्ष्य विदेशी सरजमीं पर भी अपना दबदबा बनाना होगा। भारत के कड़े 2018-19 सत्र की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट के दौरे से होगी जबकि इसके बाद उसे इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के कठिन दौरों पर भी जाना है। यह सत्र भारतीय कप्तान विराट कोहली और उनके खिलाड़ियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जिनके सामने विदेशी सरजमीं पर भारत के प्रदर्शन में सुधार करने की चुनौती है। इसके लिए हालांकि भारतीय टीम अपने तेज गेंदबाजों पर काफी निर्भर करेगी। दुनिया की नंबर एक टीम भारत ने दूसरे स्थान की टीम दक्षिण अफ्रीका पर मजबूत बढ़त बना रखी है और अगर टीम को टेस्ट सीरीज में 0-3 से क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ता है तो भी वह अपनी शीर्ष रैंकिंग नहीं गंवाएगी।

कोहली की टीम के लिए हालांकि यह सिर्फ अंक और रैंकिंग से जुड़ी सीरीज नहीं है। मेजबान दक्षिण अफ्रीका को अपने तेज गेंदबाजी आक्रमण से उम्मीद है कि वह भारत के मजबूत बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त कर देगा लेकिन लगातार नौ सीरीज जीतने के बाद भारतीय टीम आत्मविश्वास से भरी है कि वे किसी भी हालात में जीत दर्ज कर सकते हैं। भारत ने इन नौ में से छह सीरीज स्वदेश में जीती जबकि दो श्रीलंका और एक वेस्टइंडीज में अपने नाम की जहां हालात उसके अनुकूल थे। भारत ने पिछली सीरीज आस्ट्रेलिया में 2014-15 में गंवाई थी जब उसे चार टेस्ट की सीरीज में 0-2 से हार का सामना करना पड़ा था। दक्षिण अफ्रीका में हालांकि भारत का रिकार्ड काफी खराब है जहां उसने छह में से पांच सीरीज गंवाई हैं जबकि एक ड्रा रही। भारत ने 1992 से दक्षिण अफ्रीका की सरजमीं पर खेले 17 टेस्ट में से सिर्फ दो में जीत दर्ज की है। टीम ने एक जीत 2006-07 में राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में जबकि एक 2010-11 में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में दर्ज की। भारत ने हालांकि पिछले दो दौरों पर दक्षिण अफ्रीका में बेहतर प्रदर्शन किया है। टीम ने 2010-11 में सीरीज ड्रा कराई जबकि 2013-14 में उसे कड़ी टक्कर देने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा।

भारत की 2013-14 टीम के 13 खिलाड़ी मौजूदा टीम के सदस्य हैं जो काफी अनुभव हासिल कर चुकी है और जीत दर्ज कर रही है। जहां तक इस आयोजन स्थल का सवाल है तो न्यूलैंड्स में चार टेस्ट में भारतीय टीम कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई और इस दौरान उसे दो मैचों में हार का सामना करना पड़ जबकि दो मैच ड्रा रहे। अब देखना यह होगा कि कोहली की टीम एक कदम आगे बढ़ पाती है या नहीं जो मेहमान कप्तान का दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर सिर्फ तीसरा टेस्ट होगा। इस बार भारत का तेज गेंदबाजी आक्रमण मजबूत है जो किसी भी बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त करने में सक्षम है। यहां सूखे की स्थिति के बावजूद न्यूजीलैंड्स का घसियाला विकेट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पहले टेस्ट के विकेट को देखते हुए भारत कम से कम तीन तेज गेंदबाजों के साथ उतरेगा और ऐसे में भुवनेश्वर कुमार, इशांत शर्मा और मोहम्मद शमी को मौका मिलने की संभावना है। वायरल बीमारी के कारण रविंद्र जडेजा का खेलना संदिग्ध है और इससे अंतिम एकादश में एकमात्र स्पिनर के स्थान के लिए रविचंद्रन अश्विन का दावा मजबूत होता है।

भारत फार्म में चल रहे रोहित शर्मा के रूप में अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ उतर सकता है जबकि हार्दिक पांडया को आलराउंडर के रूप में मौका दिया जा सकता है। भारत के बल्लेबाजी क्रम में बदलाव की संभावना बेहद कम है। सलामी बल्लेबाज शिखर धवन फिट घोषित हो चुके हैं और वह मुरली विजय के साथ पारी की शुरुआत करने के लिए पहले विकल्प होंगे। लोकेश राहुल को ऐसे में बाहर बैठना होगा। उप कप्तान अजिंक्य रहाणे खराब फार्म से जूझ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद विदेशी अभियान के पहले ही मैच में उन्हें बाहर किए जाने की संभावना नहीं है। रोहित श्रीलंका के खिलाफ कोलकाता टेस्ट का हिस्सा नहीं थे जब भारत पिछली बार घसियाली पिच पर खेला था। लेकिन इसके बाद उन्होंने सभी प्रारूपों में तीन शतक के साथ अपना दावा मजबूत किया है।

भारत की तरह दक्षिण अफ्रीकी टीम में भी चयन को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। डेल स्टेन को फिट घोषित किया गया है लेकिन इस तेज गेंदबाज का खेलना तय नहीं है। मेजबान टीम पिछले कुछ समय से तीन तेज गेंदबाजों और एक स्पिनर के संयोजन के साथ उतर रही है जिसमें बायें हाथ के स्पिनर केशव महाराज तेज गेंदबाजों का साथ दे रहे हैं। कागिसो रबादा, वर्नन फिलेंडर और मोर्ने मोर्कल मेजबान टीम के तेज गेंदबाजी आक्रमण का हिस्सा हो सकते हैं क्योंकि तेज पिच को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका भी अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ उतरना चाहेगा। विकेटकीपर क्वार्टर डिकाक पैर की मांसपेशियों के खिंचाव से उबर चुके हैं और एकमात्र चिंता एबी डिविलियर्स की फिटनेस को लेकर है। डिविलियर्स जिंबाब्वे के खिलाफ कार्यवाहक कप्तान थे लेकिन तब से नियमित कप्तान फाफ डु प्लेसिस पूर्ण फिटनेस हासिल कर चुके हैं। डिविलियर्स अगर फिट होते हैं तो उन्हें मौका देने के लिए टीम आलराउंडर को बाहर कर सकती है।

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